ग्यारस चांदण की आई भगता मिल ज्योत जगाई लिरिक्स - ग्यारस चांदण की आई, भगता मिल ज्योत जगाई, झांझ मज़ीरा बाजे आंगणे, ओ बाबा झांझ मज़ीरा बाजे आंगणे, मन में हरियाली छाई, भगता मिल ज्योत जगाई, झांझ मज़ीरा बाजे आंगणे, ओ बाबा झांझ मज़ीरा बाजे आंगणे ॥ चम चम चमकातो मुखडो, काना में कुंडल हो, काना में कुंडल हो, हिवड़ो हुलसायो म्हारो, भला पधारया हो, भला पधारया, हीरो भलके माथे में, अंतर जमके बागे में, फुल्डा बरसे छे म्हारे आंगणे, ओ बाबा फुल्डा बरसे छे म्हारे आंगणे, ग्यारस चांदण की आईं, भगता मिल ज्योत जगाई, झांझ मज़ीरा बाजे आंगणे, ओ बाबा झांझ मज़ीरा बाजे आंगणे ॥ गंगाजल झारी थारा, चरण पखारा हो, चरण पखारा, उँचे सिंहासन बैठो, आरती उतारा हो, आरती उतारा, भजन सुनावा थाने, गाकर रिझावा थाने, अमृत बरसे छे म्हारे आंगणे, ओ बाबा अमृत बरसे छे म्हारे आंगणे, ग्यारस चांदण की आईं, भगता मिल ज्योत जगाई, झांझ मज़ीरा बाजे आंगणे, ओ बाबा झांझ मज़ीरा बाजे आंगणे ॥ जो थाने भावे बाबा, भोग लगावा हो, भोग लगावा, रूच रूच जिमो प्रभु जी, परदो लगावा हो, परदो लगावा, तारो मुलक़ातो मुखड़ो, चंदा सू लागे उजलो, कीर्तन में देखयो थाने आंगणे, ...